Prf. N. L. Shraman, Trainer,Motivator,Inventor and Consultants in Mental Memory and Speed Math. Trainer in Mental Memory, Verbal and Logic and Speed Math.
Sunday, January 8, 2012
वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग- A Motivation
वे चल-फिर नहीं पाते, लेकिन उनकी निगाह रहती है आकाशगंगाओं की चाल पर। वे बोल नहीं पाते, लेकिन उनकी बातों को जमाना खामोश होकर सुनता है। हां आज 70वां जन्मदिन है उन्हीं महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का, जिन्होंने यह साबित कर दिया है कि इच्छाशक्ति के आगे हर मुश्किल बौनी है। 8 जनवरी 1942 को आक्स्फ़ोर्ड (इंग्लैंड) में जन्में स्टीफन में बचपन से ही भौतिकी और गणित के कठिन प्रश्नों को आसानी से हल करने की क्षमता थी। यही प्रतिभा उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में ले गई। आज ब्रह्माण्ड अध्ययन, भौतिकी और गणित में उनका योगदान अतुलनीय है। स्टीफन मुख्यत: कॉस्मोलॉजी के क्षेत्र में योगदान की वजह से जाने जाते हैं जिसके अंतर्गत ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति, संरचना और स्पेस-टाइम रिलेशनशिप के बारे में अध्ययन किया जाता है। उन्होंने थ्योरी ऑफ बिग बैंग और ब्लैक होल्स को नए सिरे से परिभाषित किया है। स्टीफन की जिजीविषा का असली सफर तब शुरू हुआ, जब वह अपने शरीर पर नियंत्रण खो चुके थे। 21 वर्ष की उम्र में ही उन्हें मांसपेशियों के असाध्य लकवे ने घेर लिया था। डॉक्टरों ने कहा, कि अब वे केवल 2 साल के मेहमान हैं, लेकिन स्टीफन ने यह सोच लिया था कि मैं बीमारी से नहीं मरूंगा, जिंदा रहूंगा और इस बीमारी को हरा दूंगा। उन्होंने फैसला किया कि जीवन में जितना भी बुरा समय आएगा वे उसे पूरी जिंदादिली से जिएंगे। यही कारण है कि उन्होंने अपनी पढ़ाई को जारी रखा। हालांकि यह सब करना आसान नहीं था। उनके अंगों ने उनका साथ छोड़ दिया था। धीरे-धीरे उनकी जुबान भी बंद हो गई। अब वे न चल-फिर सकते थे और न ही अपनी बात को बोलकर किसी से शेयर कर सकते थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 30 सालों तक कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में गणित के प्रोफेसर का पद संभाला। स्टीफन की शारीरिक स्थिति जैसे-जैसे खराब होती गई, उनकी बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन और उपलब्धियों का क्रम बढ़ता गया। बोलने की क्षमता खोने के बाद इलेक्ट्रॉनिक वॉइस सिंथेसाइजर की सहायता से उन्होंने ब्रंााण्ड के रहस्य दुनिया को बताए। उन्होंने छह किताबें लिखीं। वर्ष 2009 में उन्हें प्रेसिडेंशियल मैडल ऑफ फ्रीडम से सम्मानित किया गया, जो अमेरिका का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। स्टीफन ने इच्छाशक्ति के बल पर न केवल मौत को हराया, बल्कि जिंदगी की वह जंग भी जीती, जिसे जीने की कल्पना भी कोई नहीं कर सकता। जिस स्थिति में लोग मौत की कामना करते हैं, स्टीफन ने जिंदगी के लिए दुआएं की, क्योंकि वह सृष्टि के कई अनसुलझे रहस्यों को सामने लाना चाहते हैं। दुनिया के बड़े से बड़े सवालों के जवाब देने वाले स्टीफन खुद इन दिनों एक सवाल दुनिया से पूछ रहे हैं। उन्होंने याहू पर यह प्रश्न छोड़ा है, जिस तरह की आर्थिक, राजनैतिक और प्राकृतिक समस्याओं से हम गुजर रहे हैं, आने वाले 100 सालों में अपना अस्तित्व कैसे कायम रख पाएंगे? स्टीफन हॉकिंग का यह प्रश्न बताता है कि वह न केवल एक काबिल वैज्ञानिक हैं, बल्कि संसार के लिए एक करुणामय हृदय भी रखते हैं, जिसकी वेदना वह अपनी जुबान से व्यक्त तक नहीं कर सकते!
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